तैत्तिरीय आरण्यक वाक्य
उच्चारण: [ taitetiriy aarenyek ]
उदाहरण वाक्य
- तदनुसार यज्ञोपवीत का सर्वप्रथम उल्लेख तैत्तिरीय आरण्यक में है।
- ' तैत्तिरीय आरण्यक ' में दिये गये पंच महायज्ञ निम्नवत हैं:-
- तैत्तिरीय आरण्यक के अनुसार इसके दक्षिण में खाण्डवप्रस्थ अर्थात् इंद्रप्रस्थ, पश्चिम भाग में मरूभूमि है।
- तैत्तिरीय आरण्यक के अनुसार इसके दक्षिण में खाण्डवप्रस्थ अर्थात् इंद्रप्रस्थ, पश्चिम भाग में मरूभूमि है।
- यजुर्वेद के शतरुद्रिय अध्याय, तैत्तिरीय आरण्यक और श्वेताश्वतर उपनिषद में शिव को ईश्वर माना गया है।
- तैत्तिरीय आरण्यक दस परिच्छेदों में है इनमें सप्तम, अष्टम तथा नवम तैत्तिरीय उपनिषद कहलाते हैं.
- तैत्तिरीय आरण्यक की व्याख्या में भट्ट भास्कर ने लिखा है ‘ अथ नम ट्टषिभ्य मंत्रकृदिभ्यो द्रष्टुभ्य: ।
- [18] ' श्रमण ' शब्द का प्रयोग तैत्तिरीय आरण्यक में तपस्वी के अर्थ में हुआ है।
- प्रो. लाल का कहना है कि अयोध्या शब्द न केवल तैत्तिरीय आरण्यक में है, बल्कि इसका उल्लेख अथर्ववेद[51] में भी मिलता है।
- इनमें कुछ ऐतिहासिक तथ्य भी हैं, जैसे-तैत्तिरीय आरण्यक में कुरु, पंचाल, काशी, विदेह आदि महाजनपदों का उल्लेख है।
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